इलैक्ट्रोपैथी होमियोपैथी औषधियों का मुख्य स्रोत
दुनिया में किसी भी प्राणी को जिन्दा रहने के लिए मुख्य रूप से चार चीजों की जरुरत होती है । तभी वह जिन्दा रह सकता है जैसे : हवा, पानी, धुप, और धरती। पेड़ पौधों के अलावा ये सभी चीजे चलते फिरते प्राणियों को उपलब्ध नहीं हो सकती, क्योकि पेड़ पौधें ही जमीन से जुड़े होते है और आसानी से इन चारो चीजों को ग्रहण करते है। इन सभी चीजों के एक निश्चित अनुपात के सेवन से शक्ति का निर्माण करते है, जिसका ग्रंथो में आदि शक्ति (OD FORCE) का नाम दिया गया है। इसलिए सभी जीवो को जिन्दा रहने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड़ पौधों पर ही आश्रित होना पड़ता है।
लगभग 5000 वर्ष पूर्व जब अग्नि का प्रयोग शुरू किया, तब इंसान की अनुमानित आयु 150 वर्ष हुआ करती थी, क्योंकि वह सब कुछ कच्चा खाते थे और शुद्ध शाखाहारी थे। जब से हमने पकाना शुरू किया इंसान की आज औषतन आयु घटते घटते 70 से 75 वर्ष रह गयी है। इसलिए विशेषज्ञ लोग कहते है की 70 % अपना पेट सलाद या कच्चे भोजन से भरो। डॉ. काउंट सीजर मैटी को 1885 में यह मालूम था की मनुष्य का तापमान 98 डिग्री फार्नहाइट होता है। अगर मनुष्य का तापमान 2 – 3 डिग्री फार्न हाइट होता है तो उसे बुखार कहते है। जरा सोचिये जब आप पेड़ पौधों का तापमान बड़ा देते है तो उन के अंदर उपस्थित आदि शक्ति क्या नस्ट नहीं हो जाती है?
इसलिए डॉ. काउंट सीजर मैटी ने इलैक्ट्रो होमियोपैथी की औषिधियाँ बनाते समय विशेष रूप से तापमान को ध्यान में रखा। मैटी जी ने इंसान के तापमान (90 डिग्री ) पर औषधीय पौधों को डिस्टिल्ड वाटर में डाल कर उन की पूरी आदि शक्ति को प्राप्त किया। इसी को इलैक्ट्रो होमियोपैथी एनर्जी अर्थात इलैक्ट्रो होमियोपैथी मेडिसिन कहते है।